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Category Archives: राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी]

….ताज फिर भी सरताज है

गेट वे आफ इडिया की तरफ तिरछी निगाहो से देखते होटल ताज के सामने आज कुछ भीड़ उत्सुक तमाशबीनों कीहै या फिर जुटे है गेट वे पर रोज चहलकदमी करने वाले मुंबईकर। अगर उत्सुकता और यादों को पूरे दृश्य से निकाल दिया जाए तो एक साल पहले आज के ही दिन गेट वे और ताज में से किसी को यह अंदाज भी नहीं था कि उनके इतिहास में ठीक अड़तालीस घटे बाद एक अजीबोगरीब पन्ना जोड़ने वाले दस लोग उनकी मुंबई से कुछ ही दूर तैर रहे है। वह ऐसा इतिहास छोड़ जाएंगे जो कोई शहर, कोई इमारत और कोई देश अपने साथ जोड़ना नहीं चाहता। मगर इतिहास में रचे-बसे और रमे ताज को यह तमगा भी मिलना था कि जब दुनिया आतंक को याद करेगी तब स्मृति में शेष डब्ल्यूटीसी, मैरियट या ओक्लोहामा सिटी बिल्डिग के साथ मुंबई के ताज होटल के जलते गुंबद भी उसकी यादों में तैर जाएंगे।

ताज अगर मुंबई का गौरव है तो पूरी दुनिया के लिए आतंक के जघन्य चेहरे की पहचान भी। यह ताज के इतिहास की विलक्षण असंगति है। बुधवार यानी 25 नवंबर से 26 नवंबर तक अलग-अलग आयोजनों में मुंबई व ताज के उस महज एक साल पुराने ताजा इतिहास को याद करने वाली है जिसे देश ने विस्मय, भय, यंत्रणा, क्षोभ और करुणा के साथ करीब 60 घटे तक देखा था। आतंक की आधी झेलने वाली ताज की हेरिटेज यानी पुरानी बिल्डिग के ऊपर की अधिकाश मंजिलें अभी बंद है। गुंबद पर रोशनी है, मगर नीचे के तलों पर उदास अंधेरा है। ताज चुपचाप उन निशानों को मिटाने की कोशिश कर रहा है, जो आतंकी उसे देकर गए है। सुनते है, जनवरी में ताज का यह विंग मेहमानों के लिए खुलेगा।

आतंक के निशान भले ही मिट जाएं मगर इतिहास बड़ा जालिम है। वह अच्छा हो या बुरा, मगर चिपक कर बैठ जाता है और मिटता नहीं। लेकिन आखिर एक इमारत में कितना इतिहास भरा जा सकता है। ताज जैसी इमारतें दुनिया में बिरली ही होंगी जिनसे इतिहास इतने विभिन्न तरह के प्रसंगों में बोलता है।

विदेश न जा पाने वाले लोगों के लिए सौ साल पहले मुंबई का ताज होटल एक अविश्वसनीय इमारत थी। उम्र में गेट वे आफ इडिया से भी बड़ा ताज भारत का पहला भव्य होटल था। मुंबई में बिजली से जगमगाने वाली पहली इमारत, मुंबई में आइसक्रीम बनाने की पहली मशीन, पहली लाड्री, पालिश करने की पहली मशीन, पहली लिफ्ट, पहला जेनरेटर..और भी बहुत कुछ मुंबई को उस ताज होटल ने दिखाया जिसे बनाने की योजना सुन कर जमशेद जी की बहनें चौंक कर यह पूछ उठीं थी क्या तुम सच में एक भटियारखाना बनाओगे? खाना खाने की जगह!!

1903 में जनता के लिए खुले ताज होटल को लेकर टाटा परिवार ने कभी यह नहीं सोचा था कि 2008 में ताज के इतिहास में एक ऐसा पन्ना जुड़ेगा जिससे मुंबई की दृश्यावली की पहचान बन चुके इस जीवंत इतिहास को दुनिया में आतंक के निशाने के तौर पर भी जाना जाएगा। वक्त ने बिना मागे ताज को यह इतिहास भी बख्श दिया है।

गुरुवार को ताज के सामने मुंबईकर आतंक के उस इतिहास को याद करेगे लेकिन शायद इस गर्व के साथ कि डब्ल्यूटीसी और मैरियट अब इतिहास में शेष है, मगर आतंक से जूझ कर भी ताज सिर उठाये खड़ा है। साहस और गरिमा के साथ।

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हमले की बरसी पर बिखरे हिफाजत देने वाले हाथ !!

मुंबई को आतंक की बरसी पर यह नहीं चाहिए था। वह तो अपनी पुलिस में एकजुटता और मजबूती तलाश रही थी। लेकिन हमले से ठीक पहले उसकी पुलिस राजनीति में उलझ कर बिखर गई। मंगलवार को जब गोरेगाव के एसआरपीएफ ग्राउड में महाराष्ट्र पुलिस में एनएसजी की तर्ज पर बनी त्वरित कार्रवाई बल ‘फोर्स वन’ अपनी दमखम दिखा रही थी, मुंबई की जनता अपनी पुलिस की ताकत नहीं बल्कि पुलिस के बिखराव पर चर्चा कर रही थी। हो भी क्यों न, जहा पूर्व पुलिस कमिश्नर अब्दुल गफूर को पुलिस अधिकारियों के साहस पर शक हो और पिछले साल के हमले दौरान मराठी पुलिस व गैर मराठी पुलिस वालों की बहादुरी की तुलना हो रही हो, वहा फोर्स वन से जनता के भरोसे को फोर्स आखिर कैसे मिले।

मुंबई को मंगलवार से त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा मिल रहा है। लेकिन इस घेरे को बनाने वाले खुद ही अह, स्वार्थ और असमंजस से घिरे है। हालत यह है कि बरसी पर पुलिस को एकजुट करने के बजाय राज्य के गृहमंत्री आरआर पाटिल खुद गफूर के खिलाफ मुकदमे के लिए अधिकारियों को इजाजत देने के हामी है। यानी कि मोर्चे बंधने लगे है। गोरेगाव के एसआरपीएफ मैदान में आयोजन के दौरान इलीट पुलिस और आम पुलिस के बीच नजरिए का अंतर साफ देखा जा सकता था। आपसी ईष्र्या का आलम यह है कि फोर्स वन में नियुक्ति के मानदंडों तक पर सवाल उठ रहे है। साथ ही उनमें चयनित पुलिस वालों को मिल रहे प्रशिक्षण और सुविधाओं से मुंबई पुलिस के दूसरे अधिकारी और सिपाही क्षुब्ध है। गोरेगांव स्थित स्पेशल रिजर्व पुलिस बल में मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में डयूटी पर तैनात मुंबई पुलिस के जवान तो साफ कह रहे थे कि सबसे पहले मरना तो हमें है, लेकिन सुविधाएं और प्रशिक्षण कुछ खास लोगों को दिया जा रहा है।

मुंबई चलती रहती है मगर पिछले साल की याद कर लोग सहमे है। मुंबई में 18 साल से टैक्सी चला रहे दतिया के दिनेश शुक्ला हों या फिर मराठी मानुष अमित मोरे, दोनों ही एक बात पर राजी है कि आतंकी हमले करे तो रोकना मुश्किल होगा। पुलिस या सरकार पर इस कदर अविश्वास क्यों.? दिनेश शुक्ला कहते है कि राज ठाकरे के लंपट गुंडों को तो यह पुलिस रोक नहीं पाती, फिर भला एके-47 लिए आतंकियों से क्या निपटेगी। दूसरी तरफ अमित मोरे सीधे बाहरी यानी दूसरे प्रांतों से आए लोगों का मुद्दा उठाते है। वह कहते है कि कितने आतंकी या उनके हमदर्द यहां छिपे बैठे है। पेशे से एक निजी बैंक में प्रबंधक मोरे साथ ही सफाई भी देते है कि उनकी चिंता के मूल में बाहर से काम की तलाश में आने वाले लोग नहीं, बल्कि उनकी आड़ में मुंबई के भी क्षेत्र विशेष में इकट्ठा हो रहे लोग है।

नौकरीपेशा या रोजमर्रा काम के लिए निकलना वाला हर शख्स खौफजदा है और बस काम पूरा कर जल्दी से जल्दी घर की चारदीवारी में घुस जाना चाहता है। यूं चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है सादी वर्दी में जगह-जगह खुफिया बल भी है। दरअसल, मुंबई हमले के एक साल तक भी भारतीय एजेंसियां या मुंबई पुलिस डेविड हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा के बारे में कुछ पता न कर सकीं, उससे भी लोगों का अविश्वास पुलिस पर बढ़ा है। बी काम कर रहीं वासंती युके भी मानती हैं कि मुंबई को आतंकियों की नजर से भगवान ही बचा सकता है। नेताओं से तो कोई उम्मीद पहले ही नहीं थी, अब पुलिस भी जैसे लड़ रही है, उसमें तो आतंकी फायदा उठाएंगे ही।

दरअसल, शुक्ला, मोरे या वासंती की चिंता बेवजह ही नहीं है। मुंबई पुलिस कमिश्नर अब्दुल गफूर ने आतंकी हमले की बरसी से ठीक पहले विवादास्पद बयान देकर पुलिस के भीतर चल रही जंग को सतह पर ला दिया है। मामला राजनीतिक हलकों में पहुच गया है। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री व गृह मंत्री को गफूर के नजरिए पर उठे सवालों के जवाब ढूढे़ नहीं मिले। गफूर का बयान अगर सही है तो पुलिस अधिकारियों की निष्ठा और क्षमता समझी जा सकती है और अगर गलत है तो फिर मुंबई पुलिस की एकजुटता का ऊपर वाला ही मालिक है।

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मुंबई की सुरक्षा के लिए आज से तैनात फोर्स वन

देश में एनएसजी की तर्ज पर पहला त्वरित बल देने वाले पहले राज्य का तमगा मंगलवार को महाराष्ट्र ने हासिल कर लिया। गोरेगांव स्थित स्पेशल रिजर्व पुलिस फोर्स मैदान में मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण व गृह मंत्री आरआर पाटिल ने औपचारिक रूप से फोर्स वन को महाराष्ट्र की सुरक्षा में तैनात करने का ऐलान किया। हेलीकाप्टर समेत 216 कमांडों से सुसज्जित फोर्स वन का पहला बैच हमले की बरसी से पहले सुरक्षा में तैनात कर दिया गया। इस मौके पर कमांडों ने अपने युद्धकौशल और आतंकियों से विभिन्न हालात में निपटने की तकनीक कौशल का भी प्रदर्शन किया।

महाराष्ट्र सरकार का दावा तो है कि फोर्स वन का प्रशिक्षण व क्षमता बिल्कुल एनएसजी सरीखी है, लेकिन यह बड़बोलापन ज्यादा है। वास्तव में क्यूआरटी को आम पुलिस वालों की तरह तीन शिफ्टों में तैनात किया जा रहा है, जबकि त्वरित बल तो 24 घंटे तैयार रहता है, लेकिन तैनात नहीं। इतना ही नहीं, एनएसजी कमांडो जहां रोजाना 300 चक्र फायरिंग करते है, वहीं फोर्स वन कमांडों के लिए 30 चक्र फायरिंग का प्रशिक्षण ही रहा है। फोर्स वन के युद्धकौशल को देखने के बाद एनएसजी के एक अधिकारी की टिप्पणी थी कि अभी इन्हें बहुत मांजने की जरूरत है, लेकिन शुरुआत होना ही अच्छा संकेत है।

 

१०० वी पोस्ट :- अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगा एनएसजी

केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी प्रकार की आतंकी घटना से निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] को अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित किया जाएगा।
एनएसजी के 25वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा, ‘हमने एनएसजी को नागरिक विमानों के इस्तेमाल के लिए अधिकृत कर दिया है। एनएसजी को जल्द ही उच्च तकनीक वाले नए अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाएगा। यह प्रक्रिया अपने अंतिम दौर में है।’
चिदंबरम ने कहा, ’26/11 की घटना के बाद एनएसजी की भूमिका एक बार फिर से परिभाषित हुई है। हमने एनएसजी के मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता तथा अन्य दो क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किए है। प्रत्येक केंद्र पर 5000 जवान तैनात रहेगे।’
एनएसजी की भूमिका की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए देश को समृद्ध और कुशल प्रशिक्षित एनएसजी की आवश्यकता है।’

इस मौके पर प्रसिद्ध गीतकार गुलज़ार और संगीतकार गायक शंकर महादेवन भी मौजूद थे !

 

अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगी सेना

आतंकवाद के खिलाफ अपने अभियानों को मजबूती देने के लिए भारतीय सेना ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने का फैसला किया है। इसके तहत नौ मिमी सेमीआटोमैटिक पिस्तौल और विशेष प्रकार की जनरल परपस मशीन गन [जीपीएमजी] खरीदे जाएंगे।
सेना के सूत्रों ने बताया, ‘बड़े शहरों में आतंकियों से लड़ाई के दौरान नौ मिमी कारतूस की क्षमता वाली पिस्टल को बेहद कारगर पाया गया। इसलिए इन अत्याधुनिक हथियारों को सेना में शामिल करके विशेष सैनिक बल व अन्य सैन्य इकाईयों की क्षमता बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।’
उन्होंने कहा कि ‘नई पिस्तौल रात के समय लड़ाई में मदद करने वाले यंत्रों से भी लैस होगी। इसमें लेजर बीम और अत्यधिक तीव्रता वाली फ्लश लाइट लगे होंगे।’ उन्होंने बताया कि यह पिस्तौल रात में हुए मुंबई हमले जैसे आतंकी हमले में बेहद कारगर साबित होगी। फिलहाल सेना के पास नौ मिमी की बेरेटा पिस्टल हैं। इनका पिछले कई दशक से इस्तेमाल हो रहा है।
सूत्रों का कहना है कि सेना के लिए अत्याधुनिक ग्लाक-17 एस पिस्तौल खरीदने के बारे में सोचा जा रहा है। इनका इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] ने मुंबई के ‘आपरेशन टोरनाडो’ अभियान में किया था।

इराक और अफगानिस्तान में आतंकियों के खिलाफ अमेरिकी और नाटो सेना ने भी जीपीएमजी गन का सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया है। यह गन 1200 मीटर तक मार कर सकती है और वजन में इतनी हल्की है कि पैराशूट से कूदते समय भी साथ में रखा जा सकता है। जीपीएमजी को मीडियम मशीन गन भी कहा जाता है। इसमें 7.62 मिमी राउंड की क्षमता होती है और काफी दूरी तक निशाना साध सकती है।

 

सेना के पास होगा हर अहम इमारत का ब्लूप्रिंट !!

सेना के पास होगा हर अहम इमारत का ब्लूप्रिंट



मुंबई के आतंकी हमले में हाथ जलाने के बाद सरकार अब अपनी तैयारियों को हर तरह फूलप्रूफ बना लेना चाहती है। आतंक के खिलाफ कार्ययोजना को चाकचौबंद बनाने के लिए सेना की भी मदद ली जा रही है। हिफाजत के इंतजाम मुकम्मल बनाने में जुटा गृह मंत्रालय, फौज की मदद से देश के उन महत्वपूर्ण धार्मिक, व्यावसायिक और पर्यटन स्थलों कासुरक्षा ब्लूप्रिंटतैयार करवा रहा है जो आतंकियों के निशाने पर सकते हैं।

देश के चार शहरों में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] के क्षेत्रीय केंद्र बनाने के बाद अब देश के विभिन्न इलाकों में तैनात सेना की स्पेशल फोर्सेज [एसएफ] यानी विशेष बल की बटालियनों को भी सक्रिय बनाने की तैयारी है। इस कड़ी में पश्चिमी क्षेत्र के लिए जिम्मेदार 10 पैरा का एक दल हाल ही में अहमदाबाद के अक्षरधाम मंदिर का ब्लूप्रिंट तैयार करने की गरज से मंदिर प्रांगण का मुआयना भी कर चुका है। सूत्रों के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया में सेना की टीम ने मंदिर का आकलन आतंकियों के नजरिए से किया। टीम ने मंदिर में प्रवेश और बाहर निकलने के रास्तों, भीड़ की मौजूदगी वाले स्थानों, गुप्त दरवाजों के साथ उन सभी जगहों का मुआयना किया, जो आतंकी हमले की स्थिति में अहम हो सकते हैं। गौरतलब है कि अहमदाबाद का अक्षरधाम मंदिर सितंबर 2002 में आतंकी हमले का निशाना बन चुका है।

सूत्रों के मुताबिक सेना की टीम न केवल गुजरात के बल्कि राजस्थान के कई इलाकों का भी दौरा कर ब्लूप्रिंट तैयार करने में जुटी है जिनके सहारे किसी भी आतंकी हमले की हालत में त्वरित और कारगर कार्रवाई की जा सके। इसके अलावा देश के अन्य इलाकों में तैनात एसएफ की टीमों से भी इसी तरह के आकलन को कहा गया है। दूसरी ओर अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले से सबक लेते हुए मुंबई की भी संवेदनशील इमारतों और प्रतिष्ठानों का भी नए सिरे से ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है। शहर में हाल ही में बने एनएसजी हब के साथ-साथ सघन आबादी वाले इलाकों में स्थित रिजर्व बैंक, स्टाक एक्सचेंज, कोलाबा स्थित पुलिस मुख्यालय और ऐसी ही अन्य संवेदनशील इमारतों का भी सुरक्षा ब्लूप्रिंट नए सिरे से तैयार किया गया है।

दरअसल, मुंबई आतंकी हमले के दौरान ताज होटल के नक्शे से एनएसजी कमांडो के नावाकिफ होने के कारण बहुत सारा कीमती वक्त तो बर्बाद हुआ ही, कमांडो आपरेशन भी लंबा खिंच गया। लिहाजा, गृह मंत्रालय के लिए सुरक्षा का नया मूलमंत्र यही है कि सेना हो या अ‌र्द्धसैनिक बल, आतंकियों को कमरतोड़ जवाब फौरन मिलना चाहिए। सूत्र बताते हैं कि सुरक्षा बलों के बीच तालमेल की नई केमेस्ट्री के लिए देश में तैनात सेना की इंफेंट्री बटालियनों को भी आतंकी हमलों की हालत में पहले वार के लिए तैयार किया जाएगा।