नि:संदेह आम जनता की याददाश्त कमजोर होती है, लेकिन प्रत्येक मामले में नहीं। वह इस तथ्य को आसानी से नहीं भूल सकती कि बोफोर्स तोप सौदे में न केवल दलाली के लेन-देन की पुष्टि हुई थी, बल्कि इसके सबूत भी मिले थे कि दलाली की रकम किन बैंक खातों में जमा हुई। इस पर भी गौर किया जाना चाहिए कि इस सब की पुष्टि उसी सीबीआई की ओर से की गई जो आज सबूत न होने का राग अलाप रही है। इसका सीधा मतलब है कि सरकार बदलने के साथ ही सीबीआई के सबूतों की रंगत भी बदल जाती है। जो जांच एजेंसी इस तरह से काम करती है वह शीर्ष तो हो सकती है, लेकिन स्वायत्त और भरोसेमंद कदापि नहीं। क्या केंद्रीय सत्ता अब भी यह कहने का साहस करेगी कि वह सीबीआई के काम में दखल नहीं देती? लोक लाज की परवाह न करने वाली सरकारें कुछ भी कह सकती हैं, लेकिन सीबीआई को स्वायत्त बताने से बड़ा और कोई मजाक नहीं हो सकता। बोफोर्स दलाली प्रकरण की जांच के नाम पर जो कुछ हुआ उससे यह साफ हो गया कि इस देश में उच्च पदस्थ एवं प्रभावशाली व्यक्तियों के भ्रष्टाचार की जांच नहीं हो सकती। यह किसी घोटाले से कम नहीं कि भ्रष्टाचार के एक मामले की जांच में भ्रष्ट आचरण का ही परिचय दिया गया। सीबीआई ने इस मामले की जांच में जो करोड़ों रुपये खर्च किए उन्हें वस्तुत: दलाली की रकम में ही जोड़ दिया जाना चाहिए। क्या कोई यह स्पष्ट करेगा कि सीबीआई के मौजूदा अधिकारी झूठ बोल रहे हैं या पूर्व अधिकारी ऐसा कर रहे हैं? नि:संदेह दोनों ही सही नहीं हो सकते। हो सकता है कि बोफोर्स प्रकरण का शर्मनाक तरीके से यह जो पटाक्षेप हुआ वह राजनीतिक हानि-लाभ में तब्दील न हो, लेकिन यह मामला सदैव इसकी याद दिलाता रहेगा कि हमारे देश में जांच को आंच दिखाने का काम कैसे किया जाता है?
Category Archives: यह है बुरा
बधाई हो जी बहुत बहुत बधाई – बोफोर्स केस बंद करने की अर्जी सीबीआई ने लगाई
शराब और तंबाकू के नशे के बाद अब इंटरनेट फीवर की गिरफ्त में दुनिया
डा. टंडन ने बताया कि पति कमल मिश्र ने पत्नी संजना को कई बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन उसकी आदत नहीं छूटी। वह हर रोज इंटरनेट कैफे पर जाकर घंटों चैटिंग करती थी।। इसके बाद कमल ने अपनी पत्नी को समझाने के लिए पहले मनोचिकित्सक का और न समझने पर वकील का सहारा लिया। अब कमल संजना से तलाक लेने में ही भलाई समझ रहे हैं।
इंडियन राम भी हुए ‘मेड इन चाइना’ के मुरीद
रामलीला के बाद उसके पात्रों की पोशाक, मुखौटा, तीर, धनुष, गदा और तलवार का क्या होता है, यह पूछे जाने पर मुन्ना कहते हैं कि उनका इस्तेमाल स्कूलों और थियेटर समूहों द्वारा किया जाता है।
आतंकियों के आका – परवेज मुशर्रफ
बेशरम मुशर्रफ !!!!
कश्मीर में पाकिस्तान की नापाक दखल
कश्मीर में पाकिस्तान की नापाक दखल
– प्रो. भीम सिंह [लेखक पैंथर्स पार्टी के प्रमुख हैं]
बताओ करें तो करें क्या ……………….??????
क्या सुरीला वो जहाँ था ,
हमारे हाथो में रंगीन गुब्बारे थे
और दिल में महेकता समां था ……….

वो खवाबो की थी दुनिया ……….
वो किताबो की थी दुनिया ………………
साँसों में थे मचलते ज़लज़ले और
आँखों में ‘वो’ सुहाना नशा था |
वो जमी थी , आसमां था ………..
हम खड़े थे ,
क्या पता था ???
हम खड़े थे जहाँ पर उसी के किनारे एक गहेरा सा ‘अंधा कुआँ‘ था ………………
फ़िर ‘वो’ आए ‘भीड़’ बन कर ,
हाथो में थे ‘उनके’ खंज़र …………….
बोले फैंको यह किताबे , और संभालो यह सलाखें !!!
यह जो गहेरा सा ‘कुआँ’ है …………….
हाँ …. हाँ …. ‘अंधा’ तो नहीं है !!
इस ‘कुएं’ में है ‘खजाना’ ……
कल की दुनिया तो ‘यही’ है ….
कूद जाओ ले के खंज़र ……
काट डालो जो हो अन्दर …………
तुम ही कल के हो…………..
‘शिवाजी’
……….‘सिकंदर’
……………. ||
हम ने ‘वो’ ही किया जो ‘उन्होंने’ कहा,
क्युकी ‘उनकी’ तो ‘खवहिश’ यही थी ……
हम नहीं जानते यह भी कि क्यों ‘यह’ किया ………….
क्युकी ‘उनकी’ ‘फरमाइश’ यही थी |
अब हमारे लगा ‘ज़एका’ ‘खून’ का ………
अब बताओ करें तो करें क्या ???
नहीं है ‘कोई’ जो हमें कुछ बताएं …………..
बताओ करें तो करें …………..
‘क्या’ ??????
फ़िल्म :- गुलाल ; संगीत :- पियूष मिश्रा ; गीतकार :- पियूष मिश्रा