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Category Archives: भारतीय क्रिकेट

सचिन बने 30 हजारी

रिकार्डो के बादशाह सचिन तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 20 बरस पूरे करने के चंद दिन बाद शुक्रवार को श्रीलंका के खिलाफ पहले क्रिकेट टेस्ट में अपने कुल अंतरराष्ट्रीय रनों की संख्या 30 हजार तक पहुंचाकर एक नया विश्व रिकार्ड बनाया, जिसे तोड़ना किसी भी बल्लेबाज के लिए आसान नहीं होगा।

तेंदुलकर ने शुक्रवार को अहमदाबाद में भारत की दूसरी पारी में चनाका वेलेगेदारा की गेंद को डीप स्क्वायर लेग में एक रन के लिए खेलकर जैसे ही अपने रनों की संख्या को 35 तक पहुंचाया तो वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 30,000 रन पूरे करने वाले पहले बल्लेबाज बन गए।

मास्टर ब्लास्टर ने 436 एकदिवसीय मैचों में 44.5 की औसत के साथ 17,178 रन बनाए हैं, जबकि वेलेगेदारा की गेंद पर एक रन के साथ टेस्ट मैचों में उनके रनों की संख्या 12,812 तक पहुंच गई। मुंबई के इस बल्लेबाज ने इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एकमात्र ट्वेंटी-20 मैच में 10 रन की पारी खेली थी और क्रिकेट के इन तीनों प्रारूपों में उनकी कुल [17178, 12812, और 10] रन संख्या अब 30 हजार हो गई है।

तेंदुलकर के रिकार्ड की बराबरी करना किसी भी बल्लेबाज के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय रनों की सूची में मास्टर ब्लास्टर के बाद जिस बल्लेबाज का नंबर आता है वह रिकी पोंटिंग हैं और आस्ट्रेलियाई कप्तान 24,057 रनों के साथ भारतीय दिग्गज से काफी पीछे हैं।

तेंदुलकर ने एकदिवसीय क्रिकेट में रिकार्ड 45 शतक और 91 अर्धशतक के साथ 44.5 की औसत से रन बनाए हैं, जबकि टेस्ट मैचों में भी उन्होंने रिकार्ड 42 शतक और 53 अर्धशतक के साथ 54 से अधिक की बेजोड़ औसत के साथ रन बटोरे हैं। उनके नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रिकार्ड 87 शतक [45 एकदिवसीय और 42 टेस्ट] शतक हैं।

इस मैच से पहले तेंदुलकर के नाम 596 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 29,961 रन दर्ज थे और उन्होंने तीस हजारी बनने के लिए 39 रन रन की दरकार थी। वह पहली पारी में केवल चार रन बनाने के बाद अपनी तीसरी गेंद पर ही वेलेगेदारा का शिकार बनकर पवेलियन लौट गए थे, लेकिन उन्होंने दूसरी पारी में यह उपलब्धि हासिल कर ली।

तेंदुलकर और पोंटिंग के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में संन्यास ले चुके वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा का नाम आता है, जिन्होंने 430 मैचों में 46.28 की औसत से 22,358 रन बनाए हैं।

मौजूदा टेस्ट में 177 रन बनाकर भारत की पहली पारी को ढहने से बचाने वाले राहुल द्रविड़ 473 मैचों में 45।06 की औसत से 21588 रन बनाकर चौथे, जबकि दक्षिण अफ्रीका के आलराउंडर जाक कैलिस 436 मैचों में 49.11 की औसत के साथ 20,974 रन जोड़कर सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय रन बनाने वाले खिलाड़ियों की सूची में पांचवें स्थान पर हैं।

मैनपुरी जनपद के सभी खेल प्रेमियों की ओर से ‘रिकार्डो के बादशाह’ सचिन तेंदुलकर कों बहुत बहुत बधाइयाँ और आगे आने वाले समय के लिए शुभकामनाएं !

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मोहिंदर अमरनाथ कों वर्ष 2008-09 का ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’


भारत की 1983 विश्व कप जीत के नायक पूर्व आलराउंडर मोहिंदर अमरनाथ को बीसीसीआई ने वर्ष 2008-09 के लिए सीके नायडू ‘लाइ फटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार देने की घोषणा की।

अमरनाथ को बीसीसीआई के समारोह में यह पुरस्कार दिया जाएगा जिसमें उन्हें एक ट्राफी और 15 लाख रुपये मिलेंगे। अमरनाथ ने 1969 से 1988 तक चले अपने करियर में 69 टेस्ट मैच में 4378 रन बनाए। उन्होंने इसके अलावा 85 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 1924 रन भी जोड़े। उन्हें 1983 विश्व कप के सेमीफाइनल और फाइनल में मैन आफ द मैच चुना गया था।

अमरनाथ ने 1969 में बिल लारी की अगुवाई वाली आस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ टेस्ट मैचों में पदार्पण किया। वह 1981-82 में रणजी खिताब जीतने वाली दिल्ली टीम के कप्तान भी थे। स्वतंत्र भारत के पहले टेस्ट कप्तान और मोहिंदर के पिता लाला अमरनाथ 1994 में शुरू हुए इस पुरस्कार को हासिल करने वाले पहले क्रिकेटर थे। उन्होंने बांग्लादेश और मोरक्को की राष्ट्रीय टीमों के अलावा राजस्थान की रणजी ट्राफी टीम को कोचिंग भी दी।

आज भी अमरनाथ क्रिकेट कों एक कमेंटेटर के रूप में अपना योगदान दे रहे है |

मैनपुरी जनपद के सभी क्रिकेट प्रेमियों की ओर से मोहिंदर अमरनाथ जी कों बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

 

सचिन से दूर अभी भी कई विश्व रिकार्ड

रिकार्डो के बादशाह सचिन तेंदुलकर 16 नवंबर को श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट क्रिकेट मैच में मैदान पर उतरते ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 20 साल पूरे कर लेंगे लेकिन यह विश्व रिकार्ड नहीं होगा। यदि यह दिग्गज बल्लेबाज अगले दस साल 316 दिन तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बना रहता है तभी यह रिकार्ड उनके नाम पर दर्ज हो पाएगा।

तेंदुलकर हालांकि दो दशक तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बने रहने वाले भारत के पहले क्रिकेटर बन जाएंगे। उन्होंने भारत की तरफ से सबसे लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर का रिकार्ड हाल में ही अपने नाम किया। पहले यह रिकार्ड मोहिंदर अमरनाथ के नाम पर था जिनका करियर 19 साल 310 दिन खिंचा था। संयोग से अमरनाथ ने 30 अक्टूबर 1989 को अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेला और इसके 15 दिन बाद तेंदुलकर के अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज हुआ। सबसे लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बने रहने का रिकार्ड इंग्लैंड के विल्फ्रेड रोड्स के नाम पर है जिन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच एक जून 1899 को और अंतिम मैच 51 वर्ष की उम्र में 12 अप्रैल 1930 को खेला था। उनका अंतरराष्ट्रीय करियर 30 वर्ष 315 दिन तक चला था जो विश्व रिकार्ड है।

तेंदुलकर अभी सबसे लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर की सूची में 18वें नंबर पर काबिज हैं लेकिन श्रीलंका के खिलाफ कानपुर में 24 नवंबर से शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट तक वह मुश्ताक मोहम्मद और गैरी सोबर्स को पीछे छोड़कर 16वें नंबर पर पहुंच जाएंगे। यही नहीं मास्टर ब्लास्टर जब 2010-11 के क्रिकेट सत्र में उतरेंगे तो कोलिन काउड्रे, बाबी सिम्पसन, जावेद मियादाद, नार्मन गिफर्ड और इमरान खान भी उनसे पीछे होंगे। भारत के इस स्टार बल्लेबाज ने अपना पहला मैच 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ कराची में खेला था तब वह 16 साल 205 दिन के थे। तेंदुलकर ने पिछले दिनों टेस्ट क्रिकेट में 15 हजार रन बनाने की इच्छा जताई थी। अभी वह जिस दर से रन बना रहे हैं उस लिहाज से वह नवंबर 2011 तक इस मुकाम पर पहुंच सकते हैं और ऐसे में सबसे लंबे करियर की तालिका में भी शीर्ष दस में शामिल हो जाएंगे।

तेंदुलकर ने अभी टेस्ट क्रिकेट में 12,773 और एक दिवसीय मैचों में 17,178 रन बनाए हैं और जितने भी क्रिकेटरों का अंतरराष्ट्रीय करियर उनसे अधिक लंबे समय तक खिंचा वे सभी प्रदर्शन के मामले में उनसे काफी पीछे हैं। इसके अलावा तेंदुलकर ने अपने दो दशक के करियर में जितने मैच खेले उतना कोई अन्य क्रिकेटर नहीं खेला है। तेंदुलकर ने अपने 20 साल के करियर में 159 टेस्ट, 436 एक दिवसीय और एक ट्वंटी 20 मैच सहित कुल 596 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। उनके बाद श्रीलंका के सनथ जयसूर्या का नंबर आता है जिनके नाम पर अभी 572 मैच दर्ज हैं। इन दोनों के अलावा किसी भी अन्य क्रिकेटर ने 500 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेले हैं। विल्फ्रेड रोड्स ने तीन दशक तक चले अपने करियर में केवल 58 टेस्ट मैच खेले थे।

ब्रायन क्लोज और फ्रैंक वूली का अंतरराष्ट्रीय करियर भी 25 साल से अधिक समय तक खिंचा लेकिन उनके नाम पर क्रमश: 25 और 64 मैच ही दर्ज हैं। रोड्स के नाम पर हालांकि सर्वाधिक प्रथम श्रेणी मैच खेलने का रिकार्ड है। उन्होंने 32 साल के अपने क्रिकेट करियर में 1110 प्रथम श्रेणी मैच खेले और 1000 से अधिक मैच खेलने वाले वे एकमात्र क्रिकेटर हैं। उनके जमाने में सीमित ओवरों के मैच नहीं होते थे। तेंदुलकर ने अब तक 261 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं और यदि इसमें सीमित ओवरों के मैच जोड़ दिए जाते हैं तो यह संख्या 809 हो जाएगी। वैसे इन तीनों प्रारूप को मिलाकर सबसे अधिक मैच खेलने का रिकार्ड ग्रीम हिक [1214 मैच] के नाम पर है जिनका क्रिकेट करियर लगभग 26 साल तक चला।

 

हरभजन ने दिलाई टीम इंडिया को काम्पैक कप त्रिकोणीय एकदिवसीय क्रिकेट ट्राफी

बल्लेबाजी के बादशाह सचिन तेंदुलकर के लाजवाब 44वें शतक से विशाल स्कोर बनाने के बाद टीम इंडिया ने सोमवार को हरभजन सिंह [5 विकेट] की अंगुलियों की जादूगरी से श्रीलंका को रोमांचक फाइनल मुकाबले में 46 रन से हराकर काम्पैक कप त्रिकोणीय एकदिवसीय क्रिकेट सीरीज अपने नाम की। भारत की श्रीलंका में यह चौथी और कुल 22वीं टूर्नामेंट जीत है।
विशाल लक्ष्य के आगे तिलकरत्ने दिलशान [42] और सनथ जयसूर्या ने श्रीलंका को तूफानी शुरुआत दिलाई और केवल सात ओवर में साठ रन जोड़ दिए लेकिन इनकी पारियों पर विराम लगने के बाद थिलन कादांबी [66] और चामरा कापुगेदारा [35] की सातवें विकेट के लिए संघर्षपूर्ण 70 रन की साझेदारी भी नाकाफी साबित हुई और श्रीलंकाई टीम 46.5 ओवर में 273 रन ही बना पाई। इससे पूर्व भारत ने टास जीत कर ने पांच विकेट पर 319 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। सचिन ने अपने प्रिय आर प्रेमदासा स्टेडियम पर 138 रन की नायाब पारी खेली जो इस मैदान पर उनका चौथा शतक है। वहीं कप्तान महेंद्र सिंह धौनी [56], युवराज सिंह [नाबाद 56] और राहुल द्रविड़ [39] ने भी उपयोगी योगदान दिया। भारत ने श्रीलंका में आखिरी टूर्नामेंट 1998 में जीता था।
भारत को दो बार मैच में वापसी दिलाने वाले हरभजन ने 56 रन देकर पांच विकेट लिए जिससे टीम ने श्रीलंकाई सरजमीं पर लगातार तीसरी सीरीज जीतकर हैट्रिक पूरी की। मैच में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिले लेकिन इसका आकर्षण सचिन का शतक और हरभजन की गेंदबाजी रही। तेंदुलकर ने 133 गेंद खेली तथा दस चौके और एक छक्का लगाया। उन्होंने द्रविड़ के साथ पहले विकेट के लिए 95 और धौनी के साथ दूसरे विकेट के लिए 110 रन की उपयोगी साझेदारियां भी की।
दिलशान और जयसूर्या के शुरुआती तेवरों और बाद में कादांबी और कापुगेदारा के संघर्ष से एकबारगी भारतीयों के सिर पर भी बल पड़ने लगे। ऐसे में विराट कोहली ने जयसूर्या और यूसुफ पठान ने कादांबी के आसान कैच छोड़कर टीम की निराशा बढ़ाई। धौनी ने दोनों अवसरों पर हरभजन का सहारा लिया और उन्होंने अपने कप्तान को निराश नहीं किया। हरभजन ने अपने पहले ओवर में ही दिलशान को चकमा देकर उनका मिडिल स्टंप उखाड़ा और फिर अगले ओवर में महेला जयवर्धने का अपनी ही गेंद पर कैच लिया। दिलशान ने अपनी 42 रन की पारी में 29 गेंद खेली और नौ चौके लगाए। आफ स्पिनर यूसुफ पठान को गेंद सौंपना भी सही फैसला साबित हुआ और उन्होंने अपने पहले ओवर की अंतिम गेंद पर जयसूर्या की 36 रन की पारी का भी अंत कर दिया।
धौनी ने अब ईशांत को दूसरे स्पैल के लिए बुलाया और उन्होंने बल्लेबाजी क्रम में ऊपर बुलाए गए थिलन थुषारा [15] की गिल्लियां बिखेर दी। युवराज सिंह ने आते ही एंजेलो मैथ्यूज [14] की पारी का अंत कर दिया। कुमार संगकारा [33] हार मानने के मूड में नहीं थे लेकिन आरपी की फुलटास खेलने के प्रयास में बल्ला उनके हाथ से फिसल गया और पीछे विकेटों पर जा गिरा जिससे वह हिटविकेट हो गए।
कादांबी और कापुगेदारा ने संघर्ष जारी रखा और भारत की जीत आसान नहीं बनने दी। इन दोनों ने एक-दो रन लेकर गेंदबाजों पर दबाव बनाने की कोशिश की लेकिन जरूरी रन गति बढ़ने से वे स्वयं भी दबाव में आते गए। सुरेश रैना ने ऐसे समय में कापुगेदारा को धौनी के हाथों कैच कराकर भारत को बड़ी सफलता दिलाई जबकि हरभजन ने अपने अगले स्पैल की तीसरी गेंद पर ही कादांबी की गिल्लियां बिखेर दी जिन्होंने अपनी पारी में 94 गेंद खेली और चार चौके लगाए। इस आफ स्पिनर ने अगली गेंद पर लेसिथ मालिंगा को भी आउट किया और फिर अजंथा मेंडिस का विकेट लेकर भारत के नाम पर जीत लिखी।
इससे पहले तेंदुलकर और द्रविड़ ने भारत को ठोस शुरुआत दिलाई। दो साल बाद वनडे में वापसी करने वाले द्रविड़ जब 24 रन पर थे तब दिलशान ने प्वाइंट पर उनका कैच छोड़ा लेकिन जयसूर्या के गेंद थामने के बाद यह पूर्व भारतीय कप्तान इसी क्षेत्ररक्षक को कैच देकर पवेलियन लौटे। उन्होंने 56 गेंद खेली तथा दो चौके और मेंडिस पर एक छक्का लगाया। तेंदुलकर के सामने श्रीलंका के स्टार गेंदबाज फीके पड़ गए। मालिंगा ने दस ओवर में 81 रन और मेंडिस ने 70 रन दिए। थुषारा ने अपने दो विकेट के लिए दस ओवर में 71 रन खर्च किए।
वनडे में 17 बार नर्वस नाइंटीज के शिकार बने तेंदुलकर हालांकि 90 की रन संख्या पार करने के बाद काफी सतर्क हो गए। उन्होंने मेंडिस की कैरम गेंद पर स्वीपर कवर पर एक रन लेकर सैकड़ा पूरा किया और उसके बाद हेलमेट निकालकर हवा में हाथ लहरा दिए। यह श्रीलंका के खिलाफ उनका आठवां शतक है। धौनी ने इसके तुरंत बाद बल्लेबाजी पावरप्ले लिया और मालिंगा की गेंद प्वाइंट क्षेत्र से चार रन के लिए भेजकर अपना 32वां वनडे अर्धशतक पूरा किया। इसी गेंदबाज के अगले ओवर में हालांकि उन्होंने शार्ट पिच गेंद पर मिडविकेट पर कादांबी को आसान कैच थमाया। तेंदुलकर शतक पूरा करने के बाद धीमे पड़े गए। ऐंठन के कारण द्रविड़ को उनके रनर के रूप में उतरना पड़ा। उन्होंने मेंडिस पर अपनी खीझ उतारी तथा उनकी लगातार तीन गेंद पर एक्स्ट्रा कवर में छक्का और दो चौके लगाए लेकिन आखिरी गेंद पर फिर रिवर्स स्वीप करने के प्रयास में वह एलबीडब्ल्यू हो गए।
युवराज ने इससे पहले थुषारा की गेंद पर लांग आन पर छक्का जड़कर अपने हाथ खोले थे। उन्होंने बाद में भी आक्रामक रवैया अपनाए रखा और अपना 41वां वनडे अर्धशतक पूरा किया। उन्होंने अपनी पारी में छह चौके और एक छक्का लगाया। इस बीच भारत ने पठान [0] और रैना [8] के विकेट गंवाए।
स्कोर बोर्ड :-
भारत 50 ओवर में पांच विकेट पर 319 रन
द्रविड़ का दिलशान बो जयसूर्या 39
तेंदुलकर एलबीडब्ल्यू मेंडिस 138
धौनी का कादांबी बो मलिंगा 56
युवराज नाबाद 56
पठान का कापुगेदरा बो थुषारा 0
रैना का कुलाशेखरा बो थुषारा 8
कोहली नाबाद 2
अतिरिक्त: 20
विकेट पतन: 1-95, 2-205, 3-276, 4-277, 5-302।
गेंदबाजी
कुलाशेखरा 8-0-38-0
थुषारा 10-0-71-2
मलिंगा 10-0-81-1
मेंडिस 10-0-70-1
जयसूर्या 9-0-43-1
मैथ्यूज 3-0-15-0
श्रीलंका 46.4 ओवर में 273 रन पर आउट
दिलशान बो हरभजन 42
जयसूर्या का नेहरा बो पठान 36
जयवर्धने का एंड बो हरभजन 1
संगकारा हिट विकेट रुद्र प्रताप 33
थुषारा बो ईशांत 15
मैथ्यूज का रैना बो युवराज 14
कादांबी बो हरभजन 66
कापुगेदरा का धौनी बो रैना 35
कुलाशेखरा नाबाद 9
मलिंगा का एंड बो हरभजन 0
मेंडिस स्टं धौनी बो हरभजन 7
अतिरिक्त: 15
विकेट पतन: 1-64, 2-76, 3-85, 4-108, 5-131, 6-182, 7-252, 8-264, 9-264, 10-273।
गेंदबाजी
नेहरा 7-0-43-0
ईशांत 7-0-51-1
रुद्र प्रताप 5-0-34-1
हरभजन 9.4-0-56-5
पठान 4-0-36-1
युवराज 6-0-24-1
रैना 8-0-26-1
MAN OF THE MATCH और MAN OF THE SERIES का खिताब अपने शानदार प्रदर्शन के लिए गया सचिन तेंदुलकर की झोली में | हरभजन सिंह को मिला MOST STYLIST PLAYER का खिताब |
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मैनपुरी जनपद के सभी क्रिकेट प्रेमियों की ओर से भारतीय क्रिकेट टीम को इस जीत पर बहुत बहुत बधाई |
 

भारतीय क्रिकेट को ‘टीम ऑफ नाइंटीज’ देने वाले, बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष, राजसिंह डुंगरपूर नहीं रहे

बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष राजसिंह डुंगरपूर का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। क्रिकेट जगत में ‘राजभाई’ के नाम से मशहूर 73 वर्षीय डुंगरपूर नब्बे के दशक में तीन साल तक क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष रहे। वह अलझाइमर नामक बीमारी से जूझ रहे थे।
राजस्थान के डुंगरपूर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले डुंगरपूर प्रथम श्रेणी क्रिकेटर, भारतीय टीम के मैनेजर और चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके थे। उन्होंने आजीवन विवाह नहीं किया। तेरह बरस तक क्रिकेट क्लब के अध्यक्ष रहे डुंगरपूर ने सुबह अपने निवास पर अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार रविवार को होगा। उन्नीस दिसंबर 1935 को जन्में राजसिंह डुंगरपूर के राजा महारावल लक्ष्मण सिंह के सबसे छोटे पुत्र थे। उन्होंने राजस्थान के लिए 1955 से 1971 के बीच 16 बरस तक रणजी ट्राफी खेला। उन्होंने 86 मैचों में 206 विकेट लिए थे। उन्होंने विजय मांजरेकर, हनुमंत सिंह, सलीम दुर्रानी जैसे धुरंधरों के साथ क्रिकेट खेला लेकिन भारत की ओर से कभी टेस्ट नहीं खेल पाए।
इंदौर के डेली कालेज में पढ़ाई करने वाले डुंगरपूर भारत के पूर्व कप्तान सीके नायडू के करीबी हो गए। उनके दोनों बड़े भाई जय सिंह और महिपाल सिंह राजस्थान में रहते हैं। डुंगरपूर सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के भी करीबी दोस्त थे। वह 1982 और 1986 के दौरों पर भारतीय टीम के मैनेजर रहे। वह 1984-85 और 2005-06 में पाकिस्तान दौरा करने वाली टीम के भी मैनेजर थे। डुंगरपूर ने ही क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया के नियमों में बदलाव करके 14 बरस के सचिन तेंदुलकर को उनका ड्रेसिंग रूप इस्तेमाल करने की अनुमति दिलाई थी। वह उस चयन समिति के प्रमुख थे जिसने 1989-90 के पाकिस्तान दौरे के लिए तेंदुलकर को क्रिस श्रीकांत की कप्तानी वाली भारतीय टीम में जगह दी।
डुंगरपुर ने ही मोहम्मद अजहरुद्दीन को भारतीय टीम का कप्तान बनवाया और उन खिलाड़ियों की जमात को चुना जिसे बाद में उन्होंने ‘टीम ऑफ नाइंटीज’ कहा। इसमें तेंदुलकर और अनिल कुंबले समेत कई दिग्गज शामिल थे। खराब दौर से जूझ रहे श्रीकांत की जगह 1989-90 के न्यूजीलैंड दौरे पर अजहर को कप्तानी की पेशकश करते समय उनका यह जुमला काफी चर्चित हुआ था, ‘मियां, कप्तान बनोगे।’ बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर वह हमेशा मीडिया से बातचीत के लिए उपलब्ध रहते थे।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड [बीसीसीआई] ने डुंगरपुर के निधन पर श्रद्धांजलि दी। बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘भारतीय क्रिकेट में डुंगरपुर के तीस साल से ज्यादा के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।’ उन्होंने कहा, ‘राजभाई ने प्रशासनिक के तौर पर तीन दशक से ज्यादा भारतीय क्रिकेट की सेवा की है और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा खासकर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में।’
मैनपुरी जनपद के सभी खेल प्रेमियों की ओर से ‘राज भाई’ को श्रध्दासुमन |
 
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Posted by पर सितम्बर 13, 2009 में भारतीय क्रिकेट

 

“भारतीय क्रिकेट के आइकन” – नानिक अमरनाथ भारद्वाज उर्फ लाला अमरनाथ (11/09/1911 – 05/08/2000)

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की ओर से पहला शतक जमाने वाले दिग्गज बल्लेबाज नानिक अमरनाथ भारद्वाज उर्फ लाला अमरनाथ असल मायने में भारत के पहले आलराउंडर थे जिन्होंने बल्ले के अलावा गेंद से भी अपने विरोधियों की नाक में दम किया।
इंग्लैंड और भारत के बीच 1933 में बंबई जिमखाना में भारतीय सरजमीं पर पहले टेस्ट में पदार्पण करते हुए लाला ने 118 रन की पारी खेली जिस पर दर्शकों ने झूमते हुए मैदान में घुसकर पिच पर ही उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। 11 सितंबर 1911  को अविभाजित भारत के कपूरथला में जन्में लाला बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और उन्होंने गेंदबाजी और बल्लेबाजी से टीम के लिए अहम भूमिका निभाने के अलावा चयनकर्ता, मैनेजर, कोच और प्रस्तोता के रूप में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।
वर्ष 1947-48 में आस्ट्रेलिया के दौरे के साथ स्वतंत्र भारत के पहले कप्तान बने लाला ने 24 टेस्ट में एक शतक और चार अर्धशतक की मदद से 24.38 की औसत से 878 रन बनाने के अलावा 32.91 की औसत से 45 विकेट भी चटकाए। उन्होंने 186 प्रथम श्रेणी मैचों में 10,000 से अधिक रन बनाने के अलावा 22.98 की बेहतरीन औसत के साथ 463 विकेट भी अपने नाम किए। दाएं हाथ के बल्लेबाज और मध्यम तेज गति के गेंदबाज लाला को ऐसे क्रिकेटर के रूप में जाना चाहता है जिन्होंने भारतीय क्रिकेट में राजसी वर्चस्व को चुनौती दी।
इस दिग्गज खिलाड़ी को हालांकि इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा जब 1936 में इंग्लैंड दौरे के दौरान कप्तान विजियानगरम के महाराज कुमार ने ‘अनुशासनहीनता’ के कारण उन्हें विवादास्पद तरीके से स्वदेश वापस भेज दिया। लाला और उनके अन्य साथियों ने हालांकि आरोप लगाया कि ऐसा राजनीतिक कारणों से किया गया। इसके बाद लाला को अगला टेस्ट खेलने के लिए 12 बरस का इंतजार करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाते रहे। अंतत: चयनकर्ताओं को भी उनके आगे झुकना पड़ा और उन्होंने 1946 में इंग्लैंड दौरे के साथ एक बार फिर राष्ट्रीय टीम में वापसी की। हालांकि तब उनकी बल्लेबाजी से ज्यादा धार उनकी गेंदबाजी में थी।
एक साल बाद विजय मर्चेट के टीम से हटने पर आस्ट्रेलिया के पहले दौर पर उन्हें भारतीय टीम की कमान सौंपी गई लेकिन उस समय महान बल्लेबाज डान ब्रैडमैन शानदार फार्म में थे और आस्ट्रेलिया ने भारतीय टीम को रौंद दिया। लाला इस सीरीज के पांच टेस्ट के दौरान नाकाम रहे और 14 की औसत से रन बनाने के अलावा केवल 13 विकेट ही हासिल कर पाए लेकिन अभ्यास मैचों में उन्होंने विक्टोरिया के खिलाफ 228 रन की पारी खेली। नील हार्वे ने इस पारी की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्होंने इस पारी के दौरान सर्वश्रेष्ठ कवर ड्राइव देखा। ब्रैडमैन को हिट विकेट आउट करने वाले लाला एकमात्र गेंदबाज थे और आस्ट्रेलिया के इस दिग्गज ने भी उनकी तारीफ करते हुए उन्हें क्रिकेट का ‘बेहतरीन दूत’ करार दिया था। क्रिकेट लाला के खून में बसा था और उनकी धरोहर को उनके बेटों सुरेंद्र अमरनाथ, मोहिंदर अमरनाथ और राजेंद्र अमरनाथ ने आगे बढ़ाया। सुरेंद्र ने भी अपने पिता की तरह पदार्पण मैच में शतक जमाया जबकि मोहिंदर ने भारत के लिए 69 टेस्ट खेले।
लाला अमरनाथ का पांच अगस्त 2000 को 88 बरस की उम्र में दिल्ली में निधन हुआ। तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने अपने शोक संदेश में उन्हें भारतीय क्रिकेट का आइकन करार दिया था।
सभी मैनपुरी वासी खेल प्रेमियों की ओर से “भारतीय क्रिकेट के आइकन” को हमारा शत शत नमन |
 
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Posted by पर सितम्बर 11, 2009 में भारतीय क्रिकेट