कभी कभी जीवन में कुछ ऐसी घटनाएँ घट जाती है जो आपके सोचने का नजरिया बदल, आपको एक लक्ष्य दे देती है …………….मेरी परसों की पोस्ट पर की गयी एक टिपण्णी ने मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही किया है |
यह थी वह टिपण्णी :- सतीश सक्सेना said… कलाजगत के इस गंभीर क्षति और बेहद दुखदायी घटना पर क्या प्रतिक्रिया दें …हो सके तो इन के आश्रितों का हाल क्या है मालूम करें और अगर कोई मुसीबत में है तो मैं व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर साथ हूँगा ! चूंकि आपको इस मौके पर उनकी याद आयी है अतः यह पुण्य कार्य भी आप ही करें ! अन्यथा नयी पोस्ट के साथ हम सब कल इन्हें भूल जायेंगे ! मैं अपना पता दे रहा हूँ !
सादर
Satish Saxena
satish1954@gmail.com
+919811076451
मैंने सतीश भाई को फ़ोन किया ताकि इस विषय पर उन से बात कर सकू ……………लगभग ११ मिनट तक चली बातचीत में मुझे यह समझ आ गया कि यह टिपण्णी केवल भावनाओ में बह कर नहीं की गई है बल्कि सतीश भाई सच में ऐसा ही सोचते है | मैं बता नहीं सकता दिल को कितना सुकून पंहुचा उन से बात करने के बाद ! आज हमारे देश और समाज को ऐसी ही सोच वाले लोगो की बहुत जरूरत है |
यह सच है हम सब रोज़ कितनी ही पोस्टे पढ़ते है और फिर भूल जाते है ……………..मेरी यह पोस्ट भी ४ दिनों में आपके जहान से निकल जाएगी पर ………………एक विनती है आपसे …………..कृपया उन चार दिनों तक मेरी पोस्ट में लिखी बातों पर गौर करें और हो सके तो आप भी ऐसा कुछ अपने आस पास करें !
ज्ञात हो कि ठीक एक साल पहले ८ जून २००९ ही के दिन एक सड़क दुर्घटना में मंच के लोकप्रिय कवि ओम प्रकाश आदित्य, नीरज पुरी और लाड सिंह गुज्जर का निधन हो गया था और ओम व्यास तथा ज्ञानी बैरागी गंभीर रूप से घायल हुए थे |
आज जब इस घटना को एक साल बीत चूका है ……………….हम में से कितनो को यह दुखद घटना याद भी है ……………………………….शायद बहुतों को नहीं ! यही होता है …………….क्यों कि हम लोग सब अपनी अपनी ज़िन्दगी में इस कदर मशरूफ है कि हम को अपने सिवाए कुछ और सूझता ही नहीं है | कौन जिया कौन मरा …….किस को क्या खबर ??
पर क्या आपने सोचा यही सब एक दिन हमारे साथ भी हो सकता है !!
तब भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा हमारे जाने से ………………….अगर किसी को फर्क पड़ेगा तो सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे परिवार को !
उन कवियों के जाने का भी फर्क पड़ा है उनके परिवार पर ……………….क्यों ना कुछ देर रुक कर, अपनी रोज़ कि इस भागम भाग वाली ज़िन्दगी से, हम जाने उनका हाल !
इसी सोच से प्रभावित हो कर मैंने आज कुछ लोगो को फ़ोन कर यह मालूमात करने की कोशिश करी कि क्या किसी को उस हादसे में मरे गए कवियों के परिवार के विषय में कुछ जानकारी है ……………….और क्या कोई और भी मेरे इस प्रयास में मेरा साथ देगा ?
सब से पहले मेरी बात हुयी महफूज़ अली भाई से जिन्होंने अपना पूरा सहयोग देने का वादा किया उसके बाद मैंने मुंबई फ़ोन लगाया देव कुमार झा को …………….पूरी बात से उनको अवगत करवाने के बाद जब मैंने उनसे सहयोग की बात कही तो यह जान बहुत ख़ुशी हुयी कि देव बाबु भी इस मुहीम में पूरा साथ देने को तैयार है | मेरी इस मुहीम में एक सुखद मोड तब आया जब उसके बाद मैंने फ़ोन किया अपने अलबेले बड़े भाई अलबेला खत्री जी को |
अलबेला जी ने पहले तो मेरी पूरी बात सुनी फिर मुझे काफी सराहा …………..उसके बाद जो खबर उन्होंने मुझे दी ………..वह यह थी कि उस दुखद हादसे में मारे गए किसी भी कवि के परिवार में कोई भी वितीय संकट नहीं है और सब लोग धीरे धीरे इस सदमे से उबार रहे है |
यह खबर केवल खबर नहीं बल्कि एक तरह से मेरी वह मुराद थी जो बिना मांगे ही पूरी हो गयी | मैं अपनी भावनाएं यहाँ शब्दों में नहीं लिख सकता पर यह एक ऐसी अनुभूति है जैसा अपने परिवार का हित जानने के बाद होती है |
आप सब को यह जान ख़ुशी होगी कि हम लोगो जिस मुहीम के यह एक जुट हो रहे थे वह पहले ही रंग ला चुकी है | अपने परिवार में सब ठीक है सिवाए इसके कि वह चार लोग जो हम सब को बहुत प्रिये थे आज हमारे बीच नहीं है |
आज एक और बात बहुत अच्छे से समझ में आ गयी कि अपने तमाम विवादों और कुछ बुराइयों के बाद भी ब्लॉगजगत आज भी किसी भी सार्थक पहल के लिए एक जुट है | भगवान् से यही दुआ करता हूँ कि यह एकता बनी रहे और हाल फिलहाल में जो भी विवाद हुए है उनका असर ब्लॉग जगत पर कम से कम हो !