एक ऐसा समय था जब रविवार के दिन बच्चे टेलीविजन पर अपने क्विज शो का बेसब्री से इंतजार करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होता। विभिन्न चैनलों के बीच चल रहा टीआरपी युद्ध और दर्शकों की गीत, नृत्य और रियलिटी शो की मांग ने भारतीय टेलीविजन के पर्दे से ज्ञान-आधारित कार्यक्रमों को गायब कर दिया है। अब अभिभावक शिकायत कर रहे हैं।
दो किशोर बच्चों की मां संगीता अग्रवाल कहती हैं, पहले सास-बहु के धारावाहिक चलते थे। अब ग्रामीण परिवेश पर आधारित शो या बिग बॉस जैसे रियलिटी शो चल रहे हैं। मैं अपने बच्चों को क्या देखने दूं।
अग्रवाल कहती हैं कि पहले वह प्रत्येक रविवार को बॉर्नवीटा क्विज कांटेस्ट का इंतजार करती थीं लेकिन अब हिंसात्मक और संवेदनहीन शो उन्हें छोटे पर्दे से दूर रखते हैं।
भारत में क्विज व खेलों से संबंधित रियलिटी कार्यक्रमों के प्रस्तोताओं में से एक सिद्धार्थ बासु कहते हैं कि क्विज शो प्रसारित न होने का सबसे सामान्य कारण टीआरपी की दौड़ है।
बासु ने कहा, ज्ञान-आधारित शो और अंग्रेजी भाषा के कार्यक्रम मुश्किल से ही टीआरपी की सूची में दिखते हैं। इसलिए जब तक एक क्विज शो का प्रसारकों या विज्ञापनदाताओं के साथ गठबंधन नहीं होता तब तक ये शो विलुप्त प्रजाति के कार्यक्रम बने रहेंगे। बॉर्नवीटा क्विज कांटेस्ट, क्विज टाइम, स्पैक्ट्रम, द इंडिया क्विज, मास्टरमाइंड इंडिया, यूनीवर्सिटी चैलेंज, कौन बनेगा करोड़पति और इंडियाज चाइल्ड जीनियस जैसे कार्यक्रम पहले टेलीविजन पर प्रसारित होते थे लेकिन अब इस तरह के कार्यक्रम कहीं भी दिखाई नहीं देते।
बासु सलाह देते हैं, यदि बच्चों को ज्ञान के क्षेत्र में मूल्यों की जरूरत है, तो मैं कहूंगा कि वह टेलीविजन कम देखें या चुनिंदा कार्यक्रम ही देखें।