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गिर सकती है सच का सामना पर गाज

22 जुलाई


सच का सामना रीयल्टी शो में परिवार के सदस्यों के सामने प्रतिभागी से अश्लील सवाल पूछने का मामला बुधवार को राज्यसभा में उठा और सभी सदस्यों ने एक स्वर में ऐसे कार्यक्रम को तत्काल बंद करने की मांग की।

और तो और सदस्यों ने सच का सामना जैसे रीयल्टी शो और सास भी कभी बहू थी और बालिका वधू जैसे धारावाहिकों को भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात बताते हुए इस मुद्दे पर सदन में व्यापक चर्चा कराने की मांग की जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया।

सपा के कमाल अख्तर ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि टीवी चैनलों पर आजकल ऐसे रीयल्टी शो आ रहे हैं जो भारतीय संस्कृति पर हमला करते हैं। उन्होंने इस कड़ी में सच का सामना रीयल्टी शो का जिक्र करते हुए कहा कि परिवार के सदस्यों के सामने प्रतियोगी को पैसे दिखाने के बाद अश्लील सवाल किए जाते हैं।

अख्तर ने मिसाल दी कि इसी रीयल्टी शो में एक महिला प्रतियोगी से उसके पति और बच्चों के सामने सवाल किया गया कि क्या वह पति के अलावा किसी और पुरुष से संबंध बनाना चाहती हैं। महिला ने जब जवाब न में दिया तो संचालक ने कहा कि उनका जवाब गलत है। उसके बाद महिला के पालीग्राफिक टेस्ट की रिपोर्ट पेश की गई जिसके आधार पर महिला के जवाब को गलत साबित किया गया।

सपा सांसद ने सवाल किया कि ऐसी महिला की पति बच्चों और समाज के सामने क्या स्थिति होगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सास और बहू में झगड़े को प्रोत्साहित करने वाले तौर तरीके बताने वाले सास भी कभी बहू थी और सास बहू जैसे भारतीय संस्कृति को धूमिल करने वाले धारावाहिक बंद होने चाहिए। पार्टी विचारधारा से ऊपर उठकर अख्तर की बात का लगभग सभी सदस्यों ने समर्थन किया और इस विषय पर विस्तार से चर्चा कराने की मांग की।

भाजपा के एसएस अहलूवालिया ने शिकायती लहजे में कहा कि ऐसे कार्यक्रमों और सीरियलों पर कोई नियंत्रण नहीं है और कोई नियंत्रण प्राधिकार नहीं है। यह सभ्य समाज को समाप्त करने की कोशिश है।

उप सभापति के रहमान खान ने कहा कि पूरा सदन इस बात से इत्तेफाक रखता है कि ऐसे रीयल्टी शो और सीरियलों पर रोक लगे। मुझे इस संबंध में नोटिस भी आए हैं। यह काफी गंभीर मामला है मैं चाहता हूं कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले।

सदन में मौजूद प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सरकार कार्रवाई और सदन में इस मसले पर चर्चा कराने के लिए तैयार है।

 
6 टिप्पणियां

Posted by पर जुलाई 22, 2009 में बिना श्रेणी

 

6 responses to “गिर सकती है सच का सामना पर गाज

  1. अल्पना वर्मा

    जुलाई 22, 2009 at 5:48 अपराह्न

    यह कार्यक्रम अभी तक मैं ने नहीं देखा लेकिन ब्लोग्स में इस के बारे में पढ़ रही हूँ..मेरे ख्याल में ऐसे सभी कार्यक्रम और विज्ञापन Even inke promo भी जो पूरा परिवार एक साथ बैठ कर न देख सके वे सभी बंद होने चाहिये.निजी चेन्नलों के लिए भी एक आचार संहिता बनाई जानी चाहिये.और पालन न करने पर कड़े कानून का प्रावधान भी होना चाहिये.mere vichar mein मीडिया का कुछ सेकंड का प्रचार या कोई भी एक कार्यक्रम भी काफी होता है संस्कृति पर कुठाराघात करने के लिए ,किसी के दिमागी /सोच में negative or positive परिवर्तन के लिए.

     
  2. MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर

    जुलाई 22, 2009 at 6:55 अपराह्न

    भाई, वो (रुपया) भगवान तो नही, पर भगवान से कम भी नही।यह शब्द आम आदमी के नही भारत के किसी सासद के थे जो टेप काण्ड मे पकडे गऍ थे।व्यक्ति लोकतन्त्र मे आजादी का बैजा फायद उठाने लगा है। समय रहते लगाम नही कसी गई तो यह सभी खुल्लमखुल्ला सडको पर नजर आऍगा। डर-शर्म-हया-सस्कार सभी डायनासोर की तरह लुप्त हो जाऍगे।

     
  3. आनन्द वर्धन ओझा

    जुलाई 22, 2009 at 9:38 अपराह्न

    आपका यह आलेख महत्वपूर्ण प्रश्न खडा करता है और यह सामयिक मसला भारतीय जीवन-जगत से सीधे जुड़ा भी है. हम अपने घर में गुगुल-हुमाद की खुशबू बिखेरते हैं; सडांध-बदबू को बाहर ही रखना पसंद करते हैं. 'सच का सामना' करने से घर में दुर्गन्ध ही भरेगी! हाँ, 'बालिका वधु' के लिए मैं ऐसा नहीं कह सकता.एक विवेकपूर्ण और प्रेरक आलेख के लिए बधाई स्वीकार करें ! –आ.

     
  4. शिवम् मिश्रा

    जुलाई 22, 2009 at 10:39 अपराह्न

    आप सब का बहुत बहुत आभार मेरे ब्लॉग में रूचि लेने के लिए |

     
  5. Udan Tashtari

    जुलाई 22, 2009 at 11:16 अपराह्न

    इस कार्यक्रम के बारे में तो सुन कर ही धन्य भये, देखने का कोई इरादा नहीं.

     
  6. शिवम् मिश्रा

    जुलाई 22, 2009 at 11:43 अपराह्न

    कुछ लोग तो देख कर भी धन्य नहीं हुए |

     

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